भारत सरकार
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ रिमोट सेंसिंगभारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन
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आज का विचार ज्ञान-विज्ञान की सभी बातें, निष्फल हैं यदि नैतिक मूल्यों को न ले पाते
भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान
14-10-2024
भू प्रेक्षण उपग्रह का अनुप्रयोग
इस वर्ष १० जनवरी २०२३ को विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान देहरादून में “अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और इसके अनुप्रयोग“ शीर्षक से एक ऑनलाइन तकनीकी कार्यशाला का आयोजन किया गया । इस कार्यशाला के अंतर्गत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगो के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी प्रदान की गई जैसे कि भू प्रेक्षण उपग्रहों एवं अनुप्रयोग, संचार उपग्रहों के अनुप्रयोग एवं भू नेविगेशन उपग्रहों के अनुप्रयोग इत्यादि । कार्यशाला का शुभ आरंभ डॉ॰ राघवेंद्र प्रताप सिंह निदेशक भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, देहरादून द्वारा किया गया । कार्यशाला में भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान देहरादून एवं अन्तरिक्ष उपयोग केंद्र, अहमदाबाद के वरिष्ठ वैज्ञानिको द्वारा निम्न शीर्षकों पर व्याख्यान दिए गए (1) भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम (2) भू प्रेक्षण उपग्रहों के अनुप्रयोग (3) संचार उपग्रहों के अनुप्रयोग (4) नेविगेशन उपग्रहों के अनुप्रयोग कार्यशाला के अंत में श्रोताओं के अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और इसके अनुप्रयोग से जुड़े प्रश्नों पर भी चर्चा की गई । इस कार्यशाला में देशभर के कुल 3766संस्थानों से 3208 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। सभी प्रतिभागियों को कार्यशाला में ऑनलाइन प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया। कार्यशाला को सभी प्रतिभागियो द्वारा काफी सराहा गया एवं भविष्य में भी इस तरह की कार्यशाला के आयोजन का निवेदन किया गया। श्रोताओं से ली गयी प्रतिपुष्टि यह दर्शाती है कि कार्यशाला से का आयोजन उत्तम से बहुत अच्छा था ।
समय | गतिविधि | वक्ता | वीडियो देखें |
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प्रातः 10:00 – 10:30 | एक दिवसीय ऑनलाइन हिंदी कार्यशाला का उद्घाटन | श्री राघवेंद्र प्रताप सिंह, निदेशक, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, देहरादून | देखें |
प्रातः 10:30 – 11:00 | भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम | डॉ॰ हरीश कर्नाटक, वैज्ञानिक, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, देहरादून | देखें |
प्रातः 11:15 – 11:45 | भू प्रेक्षण उपग्रहों के अनुप्रयोग | श्री राघवेंद्र प्रताप सिंह, निदेशक, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, देहरादून | देखें |
दोपहर 14:00 – 15:30 | संचार उपग्रहों के अनुप्रयोग | डॉ॰ चन्द्र प्रकाश वैज्ञानिक, अन्तरिक्ष उपयोग केंद्र, अहमदाबाद | देखें |
दोपहर 15:30 – 16:00 | नेविगेशन उपग्रहों के अनुप्रयोग | डॉ० आशुतोष भारद्वाज वैज्ञानिक, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, देहरादून | देखें |
जनवरी 10, 2022 को विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान देहरादून में “सुदूर संवेदन तकनीक व इसके अनुप्रयोग” शीर्षक से एक ऑनलाइन तकनीकी कार्यशाला का आयोजन किया गया । इस कार्यशाला के अंतर्गत सुदूर संवेदन तकनीक के अनुप्रयोगो के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी प्रदान की गई जैसे कि भूस्थानिक प्रौद्योगिकी का शहरी एवं क्षेत्रीय अध्ययन में अनुप्रयोग, एवं अनुप्रयोग, भूस्थानिक प्रौद्योगिकी का आपदा प्रबंधन में अनुप्रयोग इत्यादि । इस कार्यशाला में आधुनिक सुदूर संवेदन जैसे कि सूक्ष्म-तरंग सुदूर संवेदन की मूल बातें पर भी चर्चा की गई तथा उसके विभिन्न अनुप्रयोगों की जानकारी से श्रोताओं को अवगत कराया गया । कार्यशाला का शुभ आरंभ श्री शान्तनु भटावडेकर, निदेशक ई.डी.पी.ओ., इसरो, बेंगलुरु द्वारा किया गया।कार्यशाला में संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिको द्वारा निम्न शीर्षकों पर व्याख्यान दिए गए (1) भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के सामाजिक अनुप्रयोग (2) यूएवी आधारित सुदूर संवेदन के अनुप्रयोग (3)भूस्थानिक प्रौद्योगिकी का शहरी एवं क्षेत्रीय अध्ययन में अनुप्रोयोग (4) मिट्टी (मृदा) और हमारा स्वास्थ्य (5) सूक्ष्म-तरंग सुदूर संवेदन की मूल बातें एवं अनुप्रयोग (6) भूस्थानिक प्रौद्योगिकी का आपदा प्रबंधन में अनुप्रयोग । सभी प्रतिभागियों को कार्यशाला में ऑनलाइन प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया। कार्यशाला को सभी प्रतिभागियो द्वारा काफी सराहा गया एवं भविष्य में भी इस तरह की कार्यशाला के आयोजन का निवेदन किया गया। श्रोताओं से ली गयी प्रतिपुष्टि यह दर्शाती है कि कार्यशाला से का आयोजन उत्तम से बहुत अच्छा था।
समय | गतिविधि |
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प्रातः 09:30-09:35 | स्वागत व भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान आउटरीच कार्यक्रम का परिचय – श्रीमति शेफाली अग्रवाल, समूह प्रमुख, भू-स्थानिक प्रोद्योगिकी एवं आउटरीच कार्यक्रम समूह |
प्रातः 09:35-09:40 | भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान के प्रशिक्षण और शिक्षा कार्यक्रम – डॉ० एस. के. श्रीवास्तव, डीन (अकादमिक) |
प्रातः 09:40-09:45 | कार्यशाला का उद्देश्य व रूपरेखा – डॉ० हरीश कर्नाटक, प्रमुख, जीआईटी एंड डीएल विभाग |
प्रातः 09:45-09:50 | हिन्दी गतिविधि वैबसाइट का विमोचन - डॉ॰ प्रकाश चौहान, निदेशक, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, देहरादून |
प्रातः 09:50-09:55 | अभिभाषण – डॉ॰ प्रकाश चौहान, निदेशक, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, देहरादून |
समय | गतिविधि | वक्ता | वीडियो देखें |
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प्रातः 10:00 – 10:30 | उद्घाटन समारोह | मुख्य अतिथि श्री शान्तनु भटावडेकर, निदेशक, ई.डी.पी.ओ, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, बेंगलुरु | |
प्रातः 10:30 – 11:00 | भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के सामाजिक अनुप्रयोग | डॉ० प्रकाश चौहान, निदेशक, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, देहरादून | देखें |
प्रातः 11:15 – 11:45 | यूएवी आधारित सुदूर संवेदन के अनुप्रयोग | श्रीमती शेफाली अग्रवाल (समूह प्रमुख) भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, देहरादून | देखें |
दोपहर 12:00 – 12:30 | भूस्थानिक प्रौद्योगिकी का शहरी एवं क्षेत्रीय अध्ययन में अनुप्रोयोग | डॉ॰ प्रमोद कुमार (समूह प्रमुख) भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, देहरादून | देखें |
दोपहर 14:00 – 14:30 | मिट्टी (मृदा) और हमारा स्वास्थ्य | डॉ० सुरेश कुमार (समूह प्रमुख) भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, देहरादून | देखें |
दोपहर 14:35 – 15:05 | सूक्ष्म-तरंग सुदूर संवेदन की मूल बातें एवं अनुप्रयोग | डॉ० हरी शंकर श्रीवास्तव (समूह प्रमुख) भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, देहरादून | देखें |
दोपहर 15:10 – 15:40 | भूस्थानिक प्रौद्योगिकी का आपदा प्रबंधन में अनुप्रयोग | डॉ० अरिजित रॉय (विभगाध्यक्ष) भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, देहरादून | देखें |
दोपहर 15:45 – 16:00 | चर्चा: सुदूर संवेदन तकनीक व इसके अनुप्रयोग | डॉ॰ हरीश कर्नाटक, श्री धर्मेंद्र कुमार एवं श्री कमल पाण्डे |
इस वर्ष 11 जनवरी 2021 को विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान देहरादून में "अन्तरिक्ष विज्ञान के अनुप्रयोग" शीर्षक से एक ऑनलाइन तकनीकी कार्यशाला का आयोजन किया गया । इस कार्यशाला के अंतर्गत अंतरिक्ष तकनीक के अनुप्रयोगो के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी प्रदान की गई तथा ग्रह विज्ञान तथा अन्तरिक्ष अन्वेषण के बारे में भी विस्तार से एक परिचय दिया गया । इस कार्यशाला में आधुनिक भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी पर भी चर्चा की गई तथा उसके विभिन्न अनुप्रयोगों की जानकारी से श्रोताओं को अवगत कराया गया । कार्यशाला का शुभ आरंभ श्री शान्तनु भटावडेकर, निदेशक ई.डी.पी.ओ., इसरो, बेंगलुरु द्वारा किया गया । कार्यशाला में संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिको द्वारा निम्न शीर्षकों पर व्याख्यान दिए गए (1) सामाजिक आर्थिक विकास में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की भूमिका (2) ग्रह विज्ञान तथा अन्तरिक्ष अन्वेषण (3) सुदूर संवेदन तकनीक की अनुप्रयोगों में उपयोगिता और राष्ट्र के विकास में भूमिका (4) आधुनिक भूस्थानिक प्रौद्योगिकी (4) क्राउडसोर्स जीआईएस का प्रदर्शन: ओडीके/ओएसएम/क्यूजीआईएस । संस्थान के निदेशक डॉ प्रकाश चौहान ने श्रोताओं को ग्रह विज्ञान मे भारत एवं अंतराष्ट्रीय पटल पर हो रहे शोद के बारे में बताया। उन्होने इस क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला । डॉ० राजश्री वी. बोथले, समूह निदेशक, राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र, हैदराबाद ने सुदूर संवेदन तकनीक की राष्ट्र विकाश में भूमिका से श्रोताओं का ज्ञानार्जन कराया। इस कार्यशाला के माध्यम से श्रोताओं को ग्रह विज्ञान के विभिन्न पहलुओं अवगत कराया गया । इस वर्ष इस कार्यशाला में ओपें सोर्स सॉफ्टवेर का डेमो भी दिया गया जिसको श्रोताओं ने बहुत सराहा । कार्यशाला के अंत में श्रोताओं के अन्तरिक्ष एवं भूस्थानिक प्रद्योगिकी से जुड़े प्रश्नों पर भी चर्चा की गई । इस कार्यशाला में देशभर के कुल 1030 संस्थानों से 8865 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया, सभी प्रतिभागियों को कार्यशाला में ऑनलाइन प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया। कार्यशाला को सभी प्रतिभागियो द्वारा काफी सराहा गया एवं भविष्य में भी इस तरह की कार्यशाला के आयोजन का निवेदन किया गया । श्रोताओं से ली गयी प्रतिपुष्टि यह दर्शाती है की कार्यशाला से का आयोजन उत्तम से बहुत अच्छा था ।
समय | गतिविधि |
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प्रातः 0930-0935 | स्वागत व आई०आई०आर०एस आउटरीच कार्यक्रम का परिचय – श्रीमति शेफाली अग्रवाल, समूह प्रमुख, भू-स्थानिक प्रोद्योगिकी एवं आउटरीच कार्यक्रम समूह |
प्रातः 0935-0940 | आई०आई०आर०एस के प्रशिक्षण और शिक्षा कार्यक्रम – डॉ० एस. के. श्रीवास्तव, डीन (अकादमिक) |
प्रातः 0940-0945 | कार्यशाला का उद्देश्य व रूपरेखा – डॉ० हरीश कर्नाटक, प्रमुख, जीआईटी एंड डीएल विभाग |
प्रातः 0945-0950 | मुख्य अतिथि द्वारा संबोधन – श्री शान्तनु भटावडेकर, निदेशक, ई.डी.पी.ओ, इसरो |
प्रातः 0950-0955 | अभिभाषण – डॉ॰ प्रकाश चौहान, निदेशक, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, देहरादून |
समय | गतिविधि | वक्ता | वीडियो देखें |
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प्रातः 10:00 – 10:45 | सामाजिक आर्थिक विकास में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की भूमिका | श्री शान्तनु भटावडेकर , निदेशक ई.डी.पी.ओ., इसरो, बेंगलुरु | देखें |
प्रातः 11:00 – 11:45 | ग्रह विज्ञान तथा अन्तरिक्ष अन्वेषण | डॉ० प्रकाश चौहान, निदेशक, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, देहरादून | देखें |
दोपहर 12:00 – 12:45 | सुदूर संवेदन तकनीक की अनुप्रयोगों में उपयोगिता और राष्ट्र के विकास में भूमिका | डॉ० राजश्री वी. बोथले, समूह निदेशक, राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र, हैदराबाद | देखें |
दोपहर 14:00 – 14:30 | आधुनिक भूस्थानिक प्रौद्योगिकी | डॉ॰ हरीश कर्नाटक, प्रमुख जीआईटी एंड डीएल विभाग, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान | देखें |
दोपहर 14:30 – 15:00 | क्राउडसोर्स जीआईएस का प्रदर्शन: ओडीके/ओएसएम/क्यूजीआईएस | कमल पाण्डे, वैज्ञानिक,भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान | देखें |
दोपहर 15:15 – 15:45 | चर्चा | डॉ॰ हरीश कर्नाटक, श्री धर्मेंद्र कुमार एवं श्री कमल पाण्डे |
सरकारी कामकाज में राजभाषा हिन्दी के प्रति जागरूकता तथा उसके उत्तरोतर प्रयोग में गति लाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार के प्रत्येक कार्यालय में प्रति वर्ष हिन्दी दिवस/ पखवाड़ा का आयोजन किया जाता है। प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी संस्थान में 14 सितंबर 2021 को उत्साहपूर्वक हिन्दी दिवस का आयोजन किया गया, जिसमे डॉ. अंजन रे, निदेशक भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून मुख्य अतिथि के रूप मे सम्मिलित हुए। हिन्दी दिवस क उपलक्ष में दिनांक 14 से 28 सितम्बर तक संस्थान में राजभाषा हिन्दी में एक तकनीकी पाठ्यक्रम “सुदूर संवेदन एवं जी.आई.एस प्रौद्योगिकी के मूल सिद्धान्त” का आयोजन किया, जिसका उदघाटन हमारे मुख्य अतिथि द्वारा किया गया। इस पाठ्यक्रम में पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. हरीश कर्नाटक , प्रधान, भू- वेब सेवा, सूचना प्रौद्योगिकी एवं दूरस्थ शिक्षण विभाग ने अपना महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया। इन गतिविधियों के साथ साथ हिन्दी में प्रकाशित कार्यालीन विषय से संबन्धित पुस्तकों, शब्दावली, पत्रिकाओं आदि की प्रदर्शनी भी आयोजित की गयी।
हिन्दी भाषा के उपयोग को बढ़ावा देने और प्रसार के लिए एक उत्साहजनक वातावरण बनाने के लिए 14 से 28 सितंबर 2021 तक ``हिन्दी पखवाड़ा`` का आयोजन किया गया। हिन्दी के मूल कार्य, जैसे टिप्पण, मसौदा, पत्राचार और प्रोफार्मा को बढ़ावा देने के लिए संस्थान मे सभी संभव कार्यक्रम और गतिविधियाँ आयोजित की गईं। हिन्दी टंकण, हिन्दी टिप्पण एवं मसौदा लेखन, हिन्दी व्याकरण, शासकीय पत्र व्यवहार, हिन्दी अनुवाद, हिन्दी श्रुतलेखन और निबंध लेखन प्रतियोगिता और अन्य कार्यक्रमों जैसी सभी गतिविधियों में कई अधिकारियों और कर्मचारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
हिन्दी पखवाड़ा 2021 के समापन समारोह में डॉ. प्रकाश चौहान, निदेशक, भा.सु.सं.सं. एवं अध्यक्ष, राकास द्वारा विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं एवं संस्थान के कार्मिको के बच्चों, जिनहोने शैक्षणिक सत्र 2019- 2020 एवं 2020-2021 में सी.बी.एस.ई. / आई.सी.एस.ई. तथा राज्य पाठ्यक्रम में दसवीं एवं बारहवीं कक्षा के बोर्ड परीक्षा मे हिन्दी विषय में सर्वाधिक अंक प्राप्त किये है को पुरुस्कृत किया गया।
इस वर्ष 10 जनवरी 2020 को विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान देहरादून में “अंतरिक्ष एवं भू स्थानिक तकनीक एक परिचय” शीर्षक से एक ऑनलाइन तकनीकी कार्यशाला का आयोजन किया गया । इस कार्यशाला के अंतर्गत अंतरिक्ष तकनीक के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी प्रदान की गई तथा भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के बारे में भी विस्तार से एक परिचय दिया गया । इस कार्यशाला में अंतरिक्ष तकनीक से जुड़ी विभिन्न भू-स्थानिक सेवाओं के क्रियान्वयन पर भी चर्चा की गई तथा सुदूर संवेदन के विभिन्न अनुप्रयोगों की जानकारी से श्रोताओं को अवगत कराया गया । कार्यशाला का शुभ आरंभ संस्थान के निदेशक डॉ प्रकाश चौहान द्वारा किया गया । कार्यशाला में संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिको द्वारा निम्न शीर्षकों पर व्याख्यान दिए गए (1) अंतरिक्ष तकनीक एवं भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम (2) सुदूर संवेदन एवं उसके अनुप्रयोग (3) भौगोलिक सूचना तंत्र एवं उसके अनुप्रयोग (4) नाविक भारतीय नेविगेशन प्रणाली एवं (4) भुवन जियोपोर्टल । कार्यशाला के अंत में श्रोताओं के अन्तरिक्ष से जुड़े प्रश्नों पर भी चर्चा की गई । इस कार्यशाला के माध्यम से श्रोताओं को अन्तरिक्ष से जुड़े विभिन्न पहलुओं की जानकारी प्रदान कराई गयी तथा साथ ही साथ इस बात से भी अवगत कराया गया की किस तरह अन्तरिक्ष प्रोद्योगिकी सामान्य जीवन को एक बेहतर आयाम प्रदान कर रही है । इस कार्यशाला में देशभर के कुल 101 संस्थानों से 1033 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया, सभी प्रतिभागियों को कार्यशाला में ऑनलाइन प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया। कार्यशाला को सभी प्रतिभागियो द्वारा काफी सराहा गया एवं भविष्य में भी इस तरह की कार्यशाला के आयोजन का निवेदन किया गया ।
समय | गतिविधि |
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प्रातः 0930-0935 | स्वागत व आई०आई०आर०एस आउटरीच कार्यक्रम का परिचय – श्रीमति शेफाली अग्रवाल |
प्रातः 0935-0940 | आई०आई०आर०एस के अकादमिक कार्यक्रम – डॉ० एस. के. श्रीवास्तव |
प्रातः 0940-0945 | कार्यशाला का उद्देश्य व रूपरेखा – डॉ० हरीश कर्नाटक |
प्रातः 0945-0950 | अभिभाषण – डॉ॰ प्रकाश चौहान, निदेशक, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, देहरादून |
समय | गतिविधि | वक्ता | वीडियो देखें |
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प्रातः 10:00 – 10:45 | अन्तरिक्ष तकनीक एवं भारतीय अन्तरिक्ष कार्यक्रम | डॉ॰ प्रकाश चौहान, निदेशक, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान | देखें |
प्रातः 11:00 – 11:45 | सुदूर संवेदन एवं उसके अनुप्रयोग | डॉ॰ सुशील कुमार श्रीवास्तव, अधिष्ठाता (अकादमिक), भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान | देखें |
दोपहर 12:00 – 12:45 | भौगोलिक सूचना तंत्र एवं उसके अनुप्रयोग | डॉ॰ हरीश कर्नाटक, वैज्ञानिक, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान | देखें |
दोपहर 14:00 – 14:30 | नाविक : भारतीय नैविगेशन प्रणाली | डॉ॰ आशुतोष भारद्वाज, वैज्ञानिक, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान | देखें |
दोपहर 14:30 – 15:00 | भुवन जियो पोर्टल | कमल पाण्डे, वैज्ञानिक, वैज्ञानिक, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान | देखें |
दोपहर 15:15 – 15:45 | चर्चा | डॉ॰ हरीश कर्नाटक, डॉ॰ आशुतोष भारद्वाज एवं कमल पाण्डे |
यह एक सर्वविदित तथ्य है कि हिन्दी ने राष्ट्र निर्माण मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज़ादी के बाद 14 सितम्बर 1949 को जब संविधान सभा ने हिन्दी को संघ की राजभाषा के रूप मे अपनाया, तब हमारी संवैधानिक और प्रशासनिक जिम्मेदारी कई गुना बढ़ गयी। इस दिवस के स्मरण एवं राजभाषा हिन्दी की महत्ता के मद्देनजर भारत सरकार हर साल 14 सितम्बर को “हिन्दी दिवस” के रूप मे मनाती है।
पूर्वोक्त के आलोक में, भा.सु.सं.सं. में ने हिन्दी भाषा के उपयोग को बढ़ावा देने और प्रसार के लिए एक उत्साहजनक वातावरण बनाने के लिए सितंबर 2020 में ``हिन्दी दिवस व पखवाड़ा`` का आयोजन किया गया। हिन्दी के मूल कार्य , जैसे टिप्पण, मसौदा, पत्राचार और प्रोफार्मा को बढ़ावा देने के लिए संस्थान में सभी संभव कार्यक्रम और गतिविधियाँ आयोजित की गईं। हिन्दी टंकण , हिन्दी टिप्पण एवं मसौदा लेखन, हिन्दी व्याकरण, शासकीय पत्र व्यवहार, हिन्दी अनुवाद, हिन्दी श्रुतलेखन और निबंध लेखन प्रतियोगिता और अन्य कार्यक्रमों जैसी सभी गतिविधियों मे कई अधिकारियों और कर्मचारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इन गतिविधियों के साथ साथ डॉ. एम.पी.एस. बिष्ट, निदेशक, उत्तराखंड अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र देहरादून द्वारा “हिमालय क्षेत्र में रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग” पर एक सूचनात्मक ऑनलाइन तकनीकी व्याख्यान दिया गया। हिन्दी पखवाड़ा मे अधिकारी और कर्मचारियों की भागीदारी की सराहनार्थ सभी विजेताओं को नकद पुरस्कार और भागीदारी प्रमाण प्रत्र प्रदान किए गए।
अपनी भाषा के प्रति लगाव और अनुराग राष्ट्र और अनुराग राष्ट्र प्रेम का ही एक रूप है। हिन्दी ने सभी भारतवासियों को एक सूत्र में पिरोकर सदैव अनेकता मे एकता की भावना को पुष्ट किया है। संविधान सभा ने 14 सितम्बर 1949 को हिन्दी को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया। इस पावन दिवस की स्मृति में प्रतिवर्ष 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस के रूप मे मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी संस्थान मे 14 सितम्बर 2019 को उत्साहपूर्वक हिन्दी दिवस का आयोजन किया गया । जिसमे डॉ वीरेंद्र कुमार , निदेशक विकास और शैक्षिक संचार यूनिट, अहमदाबाद मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए।
हिन्दी भाषा के उपयोग को बढ़ावा देने और प्रसार के लिए एक उत्साहजनक वातावरण बनाने के लिए 13 से 27 सितम्बर 2019 तक ``हिन्दी पखवाड़ा`` का आयोजन किया गया। हिन्दी के मूल कार्य जैसे टिप्पण, मसौदा, पत्राचार और प्रोफार्मा को बढ़ावा देने के लिए संस्थान में सभी संभव कार्यक्रम और गतिविधियाँ आयोजित की गईं। हिन्दी टंकण, हिन्दी टिप्पण एवं मसौदा लेखन, हिन्दी व्याकरण, शासकीय पत्र व्यवहार, हिन्दी अनुवाद , हिन्दी श्रुतलेखन और निबंध लेखन प्रतियोगिता और अन्य कार्यक्रमों जैसी सभी गतिविधियों में कई अधिकारियों और कर्मचारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
हिन्दी पखवाड़ा 2019 के समापन समारोह में डॉ. राजकुमार, उपनिदेशक, अन्तरिक्ष उपयोग केंद्र, अहमदाबाद मुख्य अथिति के रूप में सम्मिलित हुए। इस समारोह के मुख्य अतिथि द्वारा विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं एवं संस्थान के कार्मिको के बच्चों, जिन्होनें शैक्षणिक सत्र 2018 -2019 मे सी. बी.एस.ई/ आई.सी.एस.ई तथा राज्य पाठ्यक्रम में दसवीं एवं बारहवीं कक्षा के बोर्ड परीक्षा में हिन्दी विषय मे सर्वाधिक अंक प्राप्त किये है को पुरुस्कृत किया गया।
क्र.सं. | शीर्षक | वर्ष | दस्तावेज़ देखें |
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1 | हिन्दी पत्रिका : सुदूर वाहिनी | 2023 | देखें |
2 | हिन्दी पत्रिका : सुदूर वाहिनी (द्वितीय अंक) | 2022 | देखें |
3 | हिन्दी पत्रिका : सुदूर वाहिनी (प्रथम अंक) | 2022 | देखें |
4 | उत्तराखंड की हिमनदीय झीले | 2021 | देखें |
5 | हिन्दी तकनीकी संगोष्ठी: शोध संग्रह | 2020 | देखें |
6 | अन्तरिक्ष प्रोद्योगिकी के प्रभावी उपयोग | 2015 | देखें |
दिनांक | शीर्षक | वक्ता | वक्ता की फोटो |
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सितंबर 14, 2023 | अन्तरिक्ष अवलोकन के मूल सिद्धांत | डॉ० पूनम सेठ तिवारी | |
सितंबर 15, 2023 | रॉकेट और उपग्रहों की भौतिकी | डॉ॰ शशि कुमार | |
सितंबर 15, 2023 | इसरो प्रक्षेपण यान और सैटेलाइट पेलोड | श्री विनय कुमार | |
सितंबर 18, 2023 | सुदूर संवेदन तकनीक | डॉ॰ हिना पांडे | |
सितंबर 18, 2023 | अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) और अंतरिक्ष पर्यटन | डॉ० मनु मेहता | |
सितंबर 19, 2023 | आकाशीय पिंड, एक्सोप्लैनेट और अंतरिक्ष में जीवन | डॉ० प्रवीण ठाकुर | |
सितंबर 19, 2023 | संचार उपग्रह | श्री प्रसून कुमार | |
सितंबर 20, 2023 | नेविगेशन उपग्रह | डॉ॰ कमल पांडे | |
सितंबर 20, 2023 | इसरो ग्रहीय मिशन | डॉ ममता चौहान | |
सितंबर 21, 2023 | अंतरिक्ष विज्ञान उपयोग | डॉ० शेफाली अग्रवाल | |
सितंबर 21, 2023 | अंतरिक्ष जीव विज्ञान, खाद्य और चिकित्सा | श्री आशुतोष कुमार झा | |
सितंबर 22, 2023 | मानसून अध्ययन में उपग्रह डेटा का अनुप्रयोग | डॉ॰ चारु सिंह | |
सितंबर 22, 2023 | पारिस्थितिक अध्ययन के लिए रिमोट सेंसिंग डेटा | डॉ॰ सुरेश कुमार | |
सितंबर 25, 2023 | ऑनलाइन डेटा भंडार और प्रसार | डॉ० हरीश कर्नाटक | |
सितंबर 25, 2023 | भूविज्ञान में सुदूर संवेदन के अनुप्रयोग | श्रीमति ऋचा शर्मा | |
सितंबर 26, 2023 | आपदा प्रबंधन | डॉ॰ सी एम भट्ट | |
सितंबर 28, 2023 | भारतीय तट का खुलासा और समझ: एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण | डॉ॰ डी. मित्रा |
दिनांक | शीर्षक | वक्ता | वक्ता की फोटो |
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सितंबर 14, 2022 | भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम और उसके अनुप्रयोगों का अवलोकन | डॉ॰ राघवेंद्र प्रताप सिंह | |
सितंबर 15, 2022 | शहरी और क्षेत्रीय विकास में सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग | डॉ॰ प्रमोद कुमार | |
सितंबर 15, 2022 | माइक्रोवेव रिमोट सेंसिंग द्वारा लैंडफॉर्म विश्लेषण | श्री हरी शंकर | |
सितंबर 16, 2022 | जल संसाधन अध्ययन और अनुप्रयोग | डॉ० प्रवीण ठाकुर | |
सितंबर 16, 2022 | रिमोट सेंसिंग का उपयोग कर रात में पृथ्वी अवलोकन | श्री प्रसून गुप्ता | |
सितंबर 19, 2022 | सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकी और वायुमंडलीय विज्ञान | डॉ शुचिता श्रीवास्तव | |
सितंबर 19, 2022 | शहरी फैलाव के अध्ययन में रिमोट सेंसिंग के अनुप्रयोग | डॉ.संदीप मैथानी | |
सितंबर 20, 2022 | ज्योतिष और पारिस्थितिकी में रिमोट सेंसिंग तकनीक | डॉ. हितेन्द्र पडलिया | |
सितंबर 20, 2022 | राजभाषा नीति नियम और तकनीकी अनुवाद | श्रीमती मीनाक्षी सक्सेना | |
सितंबर 21, 2022 | आपदा प्रबंधन में रिमोट सेंसिंग तकनीक | डॉ. अरिजीत रॉय | |
सितंबर 21, 2022 | विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनो मे निः शुल्क उपग्रहिए डाटा के अनुप्रयोग | श्री धर्मेन्द्र कुमार | |
सितंबर 22, 2022 | भूवैज्ञानिक अध्ययन एवं अनुप्रयोग | सुश्री ऋचा उपाध्याय | |
सितंबर 23, 2022 | भौगोलिक सूचना प्रणाली अनुप्रयोग | श्री कपिल ओबराय | |
सितंबर 26, 2022 | पुरातत्व अध्ययन मे भू-स्थानिक प्रोद्योगिकी | डॉ. पूनम सेठ | |
सितंबर 27, 2022 | कृषि और मृदा विज्ञान सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकी | डॉ. सुरेश कुमार | |
सितंबर 28, 2022 | भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी का शासन में उपयोग | डॉ० हरीश कर्नाटक |
दिनांक | शीर्षक | वक्ता | वक्ता की फोटो | दस्तावेज़ देखें |
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सितंबर 14, 2021 | भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम और उसके अनुप्रयोगों का अवलोकन | डॉ॰ प्रकाश चौहान | देखें | |
सितंबर 15, 2021 | सुदूर संवेदन तकनीक के मूलभूत सिद्धान्त | डॉ॰ मनु मेहता | देखें | |
सितंबर 16, 2021 | भौगोलिक सूचना प्रणाली के मूलभूत सिद्धान्त | श्री कपिल ओबेराय | देखें | |
सितंबर 17, 2021 | सुदूर संवेदन के प्लेटफॉर्म और सेंसर | श्री विनय कुमार | देखें | |
सितंबर 20, 2021 | सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकी में प्रमुख प्रवत्तियां | डॉ० शशि कुमार | देखें | |
सितंबर 21, 2021 | सुदूर संवेदी उपग्रह चित्र से डिजिटल चित्र प्रसंस्करण और सूचना निष्कर्षण के मूलभूत सिद्धान्त | श्रीमति मीनाक्षी कुमार | देखें | |
सितंबर 22, 2021 | ओपन सोर्स जीआईएस सॉफ्टवेयर में जियो-डेटा हैंडलिंग | श्री प्रसून कुमार गुप्ता | देखें | |
सितंबर 23, 2021 | जीआईएस डेटा विश्लेषण का अवलोकन | श्री शिव रेड्डी | देखें | |
सितंबर 24, 2021 | ऑनलाइन जियोडेटा रिपॉजिटरी और इसरो भुवन पोर्टल | श्री कमल पाण्डे | देखें | |
सितंबर 27, 2021 | साइबर जीआईएस का अवलोकन | श्री धर्मेंद्र कुमार | देखें | |
सितंबर 28, 2021 | भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी का शासन में उपयोग | डॉ० हरीश कर्नाटक | देखें |